Monday, November 2, 2009

समय: एव जीवन: |

ॐ नमस्ते,

२ नवेम्बर २००९ :

समय: एव जीवन: |

समय: सर्वान समानातया पश्यति | 
सर्वेभ्य: २४ होरा: एव दत्तानि | केचन समयस्य समीचीन उपयोगेन संतृप्त जीवनं यापन्ति | केचन अन्यथा कृत्वा संतृप्तिम संतोषम च अन्विशन एव सन्ति |

वस्तुत: समय: एव अस्माकं संपत्ति: |
अन्यत सर्वं क्षणिक एव | कियत पर्यन्तं अस्मत समीपे अस्ति इति एव व्यत्यास: |

समयस्य सम्यक निवेश: कष्टकर कार्यम | अत: जीवनस्य सम्यक यापनम अपि कष्टकर कार्यम :-) |

वदतु संस्कृतं नित्यं |